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श्लोक 6.30.35  |
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इति सर्वं समाख्यातं तथा वै वानरं बलम्।
सुवेलेऽधिष्ठितं शैले शेषकार्ये भवान् गति:॥ ३५॥ |
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अनुवाद |
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इस प्रकार मैंने आपके लिए सुवेल पर्वत पर ठहरी हुई वानर सेना का पूरा-पूरा वर्णन कर दिया है। अब जो शेष कार्य है, वह आपके ही हाथों में है। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे त्रिंश: सर्ग:॥ ३०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनििर्मत आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें तीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ३०॥ |
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