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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 29: रावण का शुक और सारण को फटकारना,उसके भेजे गुप्तचरों का श्रीराम की दया से वानरों के चंगुल से छूटकर लङ्का में आना
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श्लोक 28
श्लोक
6.29.28
वानरैरर्दितास्ते तु विक्रान्तैर्लघुविक्रमै:।
पुनर्लङ्कामनुप्राप्ता: श्वसन्तो नष्टचेतस:॥ २८॥
अनुवाद
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वानरों के बल और पराक्रम से पीड़ित हो राक्षसों की चेतना नष्ट हो गई और वे हाँफते-हाँफते लंका लौट आये।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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