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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 29: रावण का शुक और सारण को फटकारना,उसके भेजे गुप्तचरों का श्रीराम की दया से वानरों के चंगुल से छूटकर लङ्का में आना
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श्लोक 26
श्लोक
6.29.26
विभीषणेन तत्रस्था निगृहीता यदृच्छया।
शार्दूलो ग्राहितस्त्वेक: पापोऽयमिति राक्षस:॥ २६॥
अनुवाद
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तब विभीषण ने वहाँ उपस्थित राक्षसों को फटकारा और एक राक्षस को पकड़वाया जिसका नाम शार्दूल था। ऐसा इसलिए क्योंकि शार्दूल एक बहुत बड़ा पापी था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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