यह हर नाम का वानर है। यह भयंकर कर्म करने वाला है। इसकी लंबी पूँछ पर लाल, पीले, भूरे और सफेद रंग के साढ़े चार हाथ बड़े-बड़े चिकने रोएँ हैं। ये इधर-उधर फैले हुए रोम उठे होने के कारण सूर्य की किरणों के समान चमक रहे हैं तथा चलते समय भूमि पर लोटते रहते हैं। इसके पीछे वानरराज के किंकररूप सैकड़ों और हजारों यूथपति उपस्थित हो वृक्ष उठाये सहसा लंका पर आक्रमण करने के लिये चले आ रहे हैं।