‘महामनस्वी वानर इस समय युद्ध करने के लिए उत्सुक हैं। उनकी सेना में सभी वीर योद्धा बहुत प्रसन्न हैं। इसलिए उनके साथ युद्ध करने से आपको कोई लाभ नहीं होगा। इसलिए संधि कर लो और श्री रामचन्द्र जी की सेवा में सीता को लौटा दो’॥ ३३॥
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे पञ्चविंश: सर्ग:॥ २५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें पचीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ ५॥