जय श्री राम! हे मानवता के देवता! आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करें और समुद्र तक फैली हुई पूरी पृथ्वी का हमेशा पालन करते रहें। इस प्रकार भिन्न-भिन्न शुभ संकेत देने वाले वचनों के द्वारा राजसम्मानित श्रीराम का उन्होंने अभिवादन किया।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे द्वाविंश: सर्ग: ॥ २ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें बाईसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ २ २॥