श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना  »  श्लोक 88
 
 
श्लोक  6.22.88 
 
 
तदद्भुतं राघवकर्म दुष्करं
समीक्ष्य देवा: सह सिद्धचारणै:।
उपेत्य रामं सहसा महर्षिभि-
स्तमभ्यषिञ्चन् सुशुभैर्जलै: पृथक्॥ ८८॥
 
 
अनुवाद
 
  देवताओं ने सिद्धों, चारणों और महर्षियों के साथ मिलकर भगवान श्री राम के उस अद्भुत और दुष्कर कर्म को देखकर उनके पास आकर उन्हें अलग-अलग पवित्र और शुभ जल से अभिषेक किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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