वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना
»
श्लोक 87
श्लोक
6.22.87
वानराणां हि सा तीर्णा वाहिनी नलसेतुना।
तीरे निविविशे राज्ञो बहुमूलफलोदके॥ ८७॥
अनुवाद
play_arrowpause
धीरे-धीरे वानरों की पूरी सेना नल के बनाए हुए पुल से समुद्र के उस पार पहुँच गई। राजा सुग्रीव ने फल, जड़ और पानी की अधिकता देख सागर के तट पर ही सेना का पड़ाव डाला। इस प्रकार वानरों की सेना ने सागर के तट पर विश्राम किया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.