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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना
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श्लोक 86
श्लोक
6.22.86
घोषेण महता घोषं सागरस्य समुच्छ्रितम्।
भीममन्तर्दधे भीमा तरन्ती हरिवाहिनी॥ ८६॥
अनुवाद
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इस प्रकार सेना समुद्र को पार करते हुए आगे बढ़ रही थी। उनकी आवाज़ से समुद्र की गर्जना भी दब गई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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