तत्पश्चात् सुग्रीव ने सत्य पराक्रमी श्री राम से कहा - वीरवर! आप हनुमान जी के कंधे पर चढ़ जाइये और लक्ष्मण जी अंगद की पीठ पर सवार हो लें। क्योंकि यह मकरालय समुद्र बहुत ही लंबा-चौड़ा है। ये दोनों वानर आकाश-मार्ग से चलने वाले हैं। इसलिए ये ही दोनों आप दोनों भाइयों को धारण कर सकेंगे।