श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना  »  श्लोक 75
 
 
श्लोक  6.22.75 
 
 
ततो देवा: सगन्धर्वा: सिद्धाश्च परमर्षय:।
आगम्य गगने तस्थुर्द्रष्टुकामास्तदद्भुतम्॥ ७५॥
 
 
अनुवाद
 
  तब देवता, गंधर्व, सिद्ध और महर्षि उस अद्भुत कार्य को देखने की इच्छा से आकाश में आकर खड़े हो गए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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