श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना  »  श्लोक 66
 
 
श्लोक  6.22.66 
 
 
पाषाणांश्च गिरिप्रख्यान् गिरीणां शिखराणि च।
दृश्यन्ते परिधावन्तो गृह्य दानवसंनिभा:॥ ६६॥
 
 
अनुवाद
 
  वानर पर्वत-जैसे विशाल शिलाखंडों और पर्वत-शिखरों को पकड़ कर इधर-उधर भटक रहे थे और राक्षसों के समान दिखाई दे रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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