वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना
»
श्लोक 66
श्लोक
6.22.66
पाषाणांश्च गिरिप्रख्यान् गिरीणां शिखराणि च।
दृश्यन्ते परिधावन्तो गृह्य दानवसंनिभा:॥ ६६॥
अनुवाद
play_arrowpause
वानर पर्वत-जैसे विशाल शिलाखंडों और पर्वत-शिखरों को पकड़ कर इधर-उधर भटक रहे थे और राक्षसों के समान दिखाई दे रहे थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.