वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना
»
श्लोक 55
श्लोक
6.22.55
ते नगान् नगसंकाशा: शाखामृगगणर्षभा:।
बभञ्जु: पादपांस्तत्र प्रचकर्षुश्च सागरम्॥ ५५॥
अनुवाद
play_arrowpause
वे विशालकाय वानर, जो शरीर से पहाड़ों के समान बलिष्ठ थे, अपने पंजे से पर्वत शिखरों और वृक्षों को तोड़कर उन्हें समुद्र तक खींच लाते थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.