श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना  »  श्लोक 50
 
 
श्लोक  6.22.50 
 
 
अयं हि सागरो भीम: सेतुकर्मदिदृक्षया।
ददौ दण्डभयाद् गाधं राघवाय महोदधि:॥ ५०॥
 
 
अनुवाद
 
  इस भयावह समुद्र को राजा सगर के पुत्रों ने ही बढ़ाया है। फिर भी इसने कृतज्ञता से नहीं, बल्कि दंड के भय से ही सेतुकर्म देखने की इच्छा मन में लाकर भगवान श्री राम को अपनी थाह दी है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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