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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना
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श्लोक 47
श्लोक
6.22.47
एवमुक्त्वोदधिर्नष्ट: समुत्थाय नलस्तत:।
अब्रवीद् वानरश्रेष्ठो वाक्यं रामं महाबलम्॥ ४७॥
अनुवाद
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एवमुक्त्वा समुद्र अदृश्य हो गया, तत्पश्चात वानरों में श्रेष्ठ नल उठकर अतिशय बलशाली भगवान श्री राम से बोला-
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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