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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 22: नल के द्वारा सागर पर सौ योजन लंबे पुल का निर्माण तथा उसके द्वारा श्रीराम सहित वानरसेना का उस पार पड़ाव डालना
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श्लोक 45
श्लोक
6.22.45
अयं सौम्य नलो नाम तनयो विश्वकर्मण:।
पित्रा दत्तवर: श्रीमान् प्रीतिमान् विश्वकर्मण:॥ ४५॥
अनुवाद
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इस संसार के स्रष्टा विश्वकर्मा के पुत्र नल नामक शिल्पकला में निपुण वानर को आपकी सेना में देखकर प्रसन्नता हुई होगी। नल के हृदय में आपके प्रति बहुत प्रेम है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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