श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 19: विभीषण का आकाश से उतरकर भगवान् श्रीराम के चरणों की शरण लेना, श्रीराम का रावण-वध की प्रतिज्ञा करना  »  श्लोक 2-3h
 
 
श्लोक  6.19.2-3h 
 
 
खात् पपातावनिं हृष्टो भक्तैरनुचरै: सह।
स तु रामस्य धर्मात्मा निपपात विभीषण:॥ २॥
पादयोर्निपपाताथ चतुर्भि: सह राक्षसै:।
 
 
अनुवाद
 
  वे आकाश से प्रसन्नतापूर्वक धरती पर उतरे, अपने भक्तों और सेवकों के साथ। उतरकर चारों राक्षसों के साथ धर्मात्मा विभीषण श्रीरामचन्द्रजी के चरणों में गिर पड़े।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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