अज्ञातरूपै: पुरुषै: स राजन् पृच्छॺतामिति।
यदुक्तमत्र मे प्रेक्षा काचिदस्ति समीक्षिता॥ ५९॥
अनुवाद
राजन! जिस मन्त्री ने यह कहा है कि उससे सारी बातें अपरिचित पुरुषों द्वारा पूछी जाएँ। उसके विषय में मैंने विचार किया है और यह निर्णय लिया है, जिसे आपके सामने रखता हूँ।