श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 17: विभीषण का श्रीराम की शरण में आना और श्रीराम का अपने मन्त्रियों के साथ उन्हें आश्रय देने के विषय में विचार करना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  6.17.29 
 
 
वध्यतामेष तीव्रेण दण्डेन सचिवै: सह।
रावणस्य नृशंसस्य भ्राता ह्येष विभीषण:॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘यह महाक्रूर रावणका भाई है, इसलिये इसे कठोर दण्ड देकर इसके मन्त्रियोंसहित मार डालना चाहिये’॥ २९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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