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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य
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श्लोक 98
श्लोक
6.128.98
न पर्यदेवन् विधवा न च व्यालकृतं भयम्।
न व्याधिजं भयं चासीद् रामे राज्यं प्रशासति॥ ९८॥
अनुवाद
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भगवान श्री राम के शासनकाल में कभी भी विधवाओं का विलाप नहीं सुनाई पड़ता था। नाग आदि विषैले जन्तुओं का भय नहीं था और बीमारियों की भी कोई आशंका नहीं थी॥ ९८॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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