श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 96
 
 
श्लोक  6.128.96 
 
 
आजानुलम्बिबाहु: स महावक्षा: प्रतापवान्।
लक्ष्मणानुचरो राम: शशास पृथिवीमिमाम्॥ ९६॥
 
 
अनुवाद
 
  उनके बाहु घुटनों तक लम्बे थे और उनका सीना चौड़ा और विस्तृत था। वे एक शक्तिशाली और प्रभावशाली शासक थे। लक्ष्मण के साथ मिलकर श्रीराम ने इस पृथ्वी पर शासन किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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