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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 94
श्लोक
6.128.94
पौण्डरीकाश्वमेधाभ्यां वाजपेयेन चासकृत्।
अन्यैश्च विविधैर्यज्ञैरयजत् पार्थिवात्मज:॥ ९४॥
अनुवाद
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राजकुमार श्री राम ने अनेक बार पौण्डरीक, अश्वमेध और वाजपेय यज्ञों का अनुष्ठान किया। साथ ही, उन्होंने अन्य कई प्रकार के यज्ञों का भी आयोजन किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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