श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 93
 
 
श्लोक  6.128.93 
 
 
सर्वात्मना पर्यनुनीयमानो
यदा न सौमित्रिरुपैति योगम्।
नियुज्यमानो भुवि यौवराज्ये
ततोऽभ्यषिञ्चद् भरतं महात्मा॥ ९३॥
 
 
अनुवाद
 
  परंतु श्रीरामचन्द्र जी के लाख समझाने और नियुक्त करने पर भी जब सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण ने उस पद को स्वीकार नहीं किया, तब महात्मा श्रीराम ने भरत को युवराज-पद पर अभिषिक्त किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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