श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 90
 
 
श्लोक  6.128.90 
 
 
विभीषणोऽपि धर्मात्मा सह तैर्नैर्ऋतर्षभै:।
लब्ध्वा कुलधनं राजा लङ्कां प्रायान्महायशा:॥ ९०॥
 
 
अनुवाद
 
  महायशस्वी धर्मात्मा विभीषण भी अपना कुलधर्म निभाकर, लङ्का का राज्य प्राप्त करके, अपने सहायक श्रेष्ठ राक्षसों के साथ लङ्का नगरी की ओर चल दिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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