श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 68-69h
 
 
श्लोक  6.128.68-69h 
 
 
छत्रं तस्य च जग्राह शत्रुघ्न: पाण्डुरं शुभम्।
श्वेतं च वालव्यजनं सुग्रीवो वानरेश्वर:॥ ६८॥
अपरं चन्द्रसंकाशं राक्षसेन्द्रो विभीषण:।
 
 
अनुवाद
 
  उस समय शत्रुघ्नजी ने उनके ऊपर सुंदर सफेद रंग का छत्र पकड़ा। एक ओर वानरराज सुग्रीव ने सफेद चमर हाथ में ले लिया तो वहीं दूसरी ओर राक्षसराज विभीषण ने चंद्रमा के समान चमकने वाले चमर को लेकर हिलाना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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