तदनंतर ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित रत्नों से शोभायमान और दिव्य तेज से जगमगाते हुए उस किरीट को, जिसके द्वारा पहले मनु जी का और फिर क्रमशः उनके सभी वंशज राजाओं का अभिषेक हुआ था, विभिन्न प्रकार के रत्नों से चित्रित, स्वर्ण निर्मित और महान वैभव से सुशोभित सभा भवन में अनेक रत्नों से बनी चौकी पर विधि-विधान पूर्वक रखा गया। इसके बाद महात्मा वसिष्ठ जी ने अन्य ऋत्विज ब्राह्मणों के साथ उस किरीट और अन्य आभूषणों से श्रीरघुनाथ जी को विभूषित किया।