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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 59
श्लोक
6.128.59
तत: स प्रयतो वृद्धो वसिष्ठो ब्राह्मणै: सह।
रामं रत्नमये पीठे ससीतं संन्यवेशयत्॥ ५९॥
अनुवाद
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तत्पश्चात् प्रयत्नशील वृद्ध वसिष्ठजी ने ब्राह्मणों के साथ रत्न जड़ित चौकी पर श्री रामचंद्र जी को सीता सहित बैठाया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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