श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 50
 
 
श्लोक  6.128.50 
 
 
तथा प्रत्यूषसमये चतुर्णां सागराम्भसाम्।
पूर्णैर्घटै: प्रतीक्षध्वं तथा कुरुत वानरा:॥ ५०॥
 
 
अनुवाद
 
  हे वानरों! तुम सब प्रातःकाल होते ही चारों समुद्रों के जल से भरे घड़े लेकर उपस्थित हो जाना और मेरा आदेश मिलने तक प्रतीक्षा करना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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