श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  6.128.40 
 
 
श्रुत्वा च विस्मयं जग्मुरयोध्यापुरवासिन:।
वानराणां च तत् कर्म राक्षसानां च तद् बलम्।
विभीषणस्य संयोगमाचचक्षेऽथ मन्त्रिणाम्॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  अयोध्यावासी वानरों के पुरुषार्थ और राक्षसों के बल के बारे में सुनकर बहुत आश्चर्यचकित हुए। भगवान राम ने अपने मंत्रियों को विभीषण से मिलने की घटना भी बताई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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