वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य
»
श्लोक 38
श्लोक
6.128.38
अक्षतं जातरूपं च गाव: कन्या: सहद्विजा:।
नरा मोदकहस्ताश्च रामस्य पुरतो ययु:॥ ३८॥
अनुवाद
play_arrowpause
श्रीरामचन्द्रजी के आगे अक्षत और सुवर्ण से भरे हुए पात्र, गायें, ब्राह्मण, कन्याएँ और हाथों में मिठाई लिए हुए अनेकों लोग चल रहे थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.