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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य
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श्लोक 25
श्लोक
6.128.25
सर्वमेवाभिषेकार्थं जयार्हस्य महात्मन:।
कर्तुमर्हथ रामस्य यद् यन्मङ्गलपूर्वकम्॥ २५॥
अनुवाद
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उन्होंने सेवकों से कहा—‘विजय के योग्य महात्मा श्रीरामचंद्रजी का अभिषेक करना है, उसके लिए जो-जो आवश्यक कार्य हैं, वह सब तुम सब लोग मंगलपूर्वक करो’॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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