श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  6.128.17 
 
 
प्रतिकर्म च सीताया: सर्वा दशरथस्त्रिय:।
आत्मनैव तदा चक्रुर्मनस्विन्यो मनोहरम्॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय राजा दशरथ की सभी प्रख्यात रानियों ने अपने हाथों से सीता जी का सुन्दर श्रृंगार किया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.