यह काव्य आपके जीवनकाल, स्वास्थ्य, यश और भाईचारे के प्यार को बढ़ाएगा। यह आपको सर्वोत्तम बुद्धि प्रदान करेगा और मंगलकारी है; इसलिए समृद्धि की इच्छा रखने वाले सज्जनों को इस उत्साहजनक इतिहास को नियमित रूप से सुनना चाहिए।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डेऽष्टाविंशत्यधिकशततम: सर्ग:॥ १२८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिर्निमित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें एक सौ अट्ठाईसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १२८॥
॥ युद्धकाण्डं सम्पूर्णम् ॥