श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 124
 
 
श्लोक  6.128.124 
 
 
कुटुम्बवृद्धिं धनधान्यवृद्धिं
स्त्रियश्च मुख्या: सुखमुत्तमं च।
श्रुत्वा शुभं काव्यमिदं महार्थं
प्राप्नोति सर्वां भुवि चार्थसिद्धिम्॥ १२४॥
 
 
अनुवाद
 
  इस शुभ और गम्भीर अर्थ से युक्त काव्य को सुनकर व्यक्ति के परिवार में वृद्धि होती है, धन और अनाज की प्राप्ति होती है। उसे श्रेष्ठ गुणों वाली सुंदर स्त्रियाँ मिलती हैं और इस धरती पर वह अपनी सभी इच्छाओं को पूरा कर लेता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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