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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 122
श्लोक
6.128.122
देवाश्च सर्वे तुष्यन्ति ग्रहणाच्छ्रवणात् तथा।
रामायणस्य श्रवणे तृप्यन्ति पितर: सदा॥ १२२॥
अनुवाद
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रामायण को हृदय में धारण करना और श्रवण करना, देवताओं को संतुष्ट करता है। इसके श्रवण से पितरों को भी हमेशा तृप्ति मिलती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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