श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 121
 
 
श्लोक  6.128.121 
 
 
एवमेतत् पुरावृत्तमाख्यानं भद्रमस्तु व:।
प्रव्याहरत विस्रब्धं बलं विष्णो: प्रवर्धताम्॥ १२१॥
 
 
अनुवाद
 
  लव और कुश कहते हैं—हे श्रोताओं! आपका कल्याण हो। यह प्राचीन वृतांत इस प्रकार रामायण काव्य के रूप में वर्णित हुआ है। आप लोग पूर्ण विश्वास के साथ इसका पाठ करें। इससे आपकी वैष्णवी शक्ति और विश्वास बढ़ेगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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