श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 117
 
 
श्लोक  6.128.117 
 
 
पूजयंश्च पठंश्चैनमितिहासं पुरातनम्।
सर्वपापै: प्रमुच्येत दीर्घमायुरवाप्नुयात्॥ ११७॥
 
 
अनुवाद
 
  जो लोग इस पुराण इतिहास का पूजन करते हैं और इसका पाठ करते हैं, वो सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं और दीर्घायु प्राप्त करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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