श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 116
 
 
श्लोक  6.128.116 
 
 
विजयेत महीं राजा प्रवासी स्वस्तिमान् भवेत्।
स्त्रियो रजस्वला: श्रुत्वा पुत्रान् सूयुरनुत्तमान्॥ ११६॥
 
 
अनुवाद
 
  राजा इस मंत्र के श्रवण से पृथ्वी पर विजय प्राप्त करता है। दूसरे देश में यात्रा करने वाला व्यक्ति सुरक्षित रहता है, और जिस स्त्री को मासिक धर्म आ रहा हो, वह इसे सुनकर श्रेष्ठ पुत्रों को जन्म देती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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