श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 111-112h
 
 
श्लोक  6.128.111-112h 
 
 
श्रुत्वा रामायणमिदं दीर्घमायुश्च विन्दति॥ १११॥
रामस्य विजयं चेमं सर्वमक्लिष्टकर्मण:।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम की विजय की कहानी से भरपूर रामायण काव्य को सुनकर मनुष्य को लम्बी आयु प्राप्त होती है। वे बिना किसी क्लेश के अपने कर्म करते हैं और उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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