श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 108-109
 
 
श्लोक  6.128.108-109 
 
 
य: शृणोति सदा लोके नर: पापात् प्रमुच्यते।
पुत्रकामश्च पुत्रान् वै धनकामो धनानि च॥ १०८॥
लभते मनुजो लोके श्रुत्वा रामाभिषेचनम्।
महीं विजयते राजा रिपूंश्चाप्यधितिष्ठति॥ १०९॥
 
 
अनुवाद
 
  संसार में निरंतर इसको सुनने वाला व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है। भगवान श्री राम के राज्याभिषेक वाली घटना को सुनकर व्यक्ति को यश मिलता है। यदि एक व्यक्ति संतान चाहता है तो उसे पुत्र की प्राप्ति होती है और यदि धन चाहता है तो वह धन अर्जित करता है। राजा इस काव्य का श्रवण करके पृथ्वी पर विजय प्राप्त करता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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