श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 107
 
 
श्लोक  6.128.107 
 
 
धर्म्यं यशस्यमायुष्यं राज्ञां च विजयावहम्।
आदिकाव्यमिदं चार्षं पुरा वाल्मीकिना कृतम्॥ १०७॥
 
 
अनुवाद
 
  आदिकाव्य रामायण ऋषि वाल्मीकि के अनुसार, धर्म, यश और आयु में वृद्धि करने वाला है, जिससे राजाओं को विजयी होने में सहायता मिलती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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