श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 103
 
 
श्लोक  6.128.103 
 
 
नित्यमूला नित्यफलास्तरवस्तत्र पुष्पिता:।
कामवर्षी च पर्जन्य: सुखस्पर्शश्च मारुत:॥ १०३॥
 
 
अनुवाद
 
  श्री राम के राज्य में वृक्षों की जड़ें हमेशा मजबूत रहती थीं और वे हमेशा फूलों और फलों से लदे रहते थे। मेघ लोगों की इच्छा और आवश्यकता के अनुसार ही वर्षा करते थे। वायु हल्की और सुखद होती थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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