नित्यमूला नित्यफलास्तरवस्तत्र पुष्पिता:।
कामवर्षी च पर्जन्य: सुखस्पर्शश्च मारुत:॥ १०३॥
अनुवाद
श्री राम के राज्य में वृक्षों की जड़ें हमेशा मजबूत रहती थीं और वे हमेशा फूलों और फलों से लदे रहते थे। मेघ लोगों की इच्छा और आवश्यकता के अनुसार ही वर्षा करते थे। वायु हल्की और सुखद होती थी।