श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 128: भरत का श्रीराम को राज्य लौटाना, श्रीराम की नगरयात्रा, राज्याभिषेक, वानरों की विदार्इ तथा ग्रन्थ का माहात्म्य  »  श्लोक 101
 
 
श्लोक  6.128.101 
 
 
आसन् वर्षसहस्राणि तथा पुत्रसहस्रिण:।
निरामया विशोकाश्च रामे राज्यं प्रशासति॥ १०१॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम के राज्यकाल में लोग सहस्राब्दियों तक जीते थे, हज़ारों संतानों के माता-पिता बने, और किसी भी प्रकार की बीमारी या दुःख का अनुभव नहीं करते थे। वे स्वस्थ और निरोग थे, और उनके जीवन में कोई शोक या दुःख नहीं था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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