वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 127: अयोध्या में श्रीराम के स्वागत की तैयारी, भरत के साथ सबका श्रीराम की अगवानी के लिये नन्दिग्राम में पहुँचना, श्रीराम का आगमन, भरत आदि के साथ उनका मिलाप तथा पुष्पक विमान को कुबेर के पास भेजना
»
श्लोक 53
श्लोक
6.127.53
तान्यञ्जलिसहस्राणि प्रगृहीतानि नागरै:।
व्याकोशानीव पद्मानि ददर्श भरताग्रज:॥ ५३॥
अनुवाद
play_arrowpause
देखो, भरत के बड़े भाई श्रीराम ने सहस्रों हाथों को देखा जो खिले हुए कमलों की तरह उठे हुए थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.