श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 126: हनुमान्जी का भरत को श्रीराम, लक्ष्मण और सीता के वनवाससम्बन्धी सारे वृत्तान्तों को सुनाना  »  श्लोक 27-28
 
 
श्लोक  6.126.27-28 
 
 
ततस्त्वद्भुतसंकाशा: स्थिता: पर्वतमूर्धनि॥ २७॥
सीतां गृहीत्वा गच्छन्तं वानरा: पर्वतोपमा:।
ददृशुर्विस्मिताकारा रावणं राक्षसाधिपम्॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनन्तर पर्वतीय शिखर पर विशाल पहाड़ों के समान अद्भुत शरीर वाले वानरों ने सीता को पकड़कर जाते हुए राक्षसों के राजा रावण को उत्सुकता से देखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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