श्रीरामचन्द्रजी के आगमन का आश्चर्यजनक समाचार कपि-वीर हनुमान् जी के मुख से सुनकर राजकुमार भरत श्रीराम के दर्शन की इच्छा से अत्यन्त हर्षित हुए और उस हर्षातिरेक से ही वे फिर इस प्रकार बोले।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे पञ्चविंशत्यधिकशततम: सर्ग: ॥ १ २५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें एक सौ पचीसवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ १ २५॥