देवो वा मानुषो वा त्वमनुक्रोशादिहागत:।
प्रियाख्यानस्य ते सौम्य ददामि ब्रुवत: प्रियम्॥ ४३॥
अनुवाद
भाई! तुम कोई देवता हो या मनुष्य, जो मुझपर दया करके यहाँ पधारे हो? सौम्य! तुमने जो यह मनभावन संवाद सुनाया है, उसके बदले में मैं तुम्हें कौन-सी प्यारी वस्तु प्रदान करूँ? (मुझे तो कोई ऐसा अनमोल उपहार नहीं दिखायी देता, जो इस मनभावन संवाद के समान हो)।