श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 125: हनुमान्जी का निषादराज गुह तथा भरतजी को श्रीराम के आगमन की सूचना देना और प्रसन्न हुए भरत का उन्हें उपहार देने की घोषणा करना  »  श्लोक 38-39
 
 
श्लोक  6.125.38-39 
 
 
निहत्य रावणं राम: प्रतिलभ्य च मैथिलीम्॥ ३८॥
उपयाति समृद्धार्थ: सह मित्रैर्महाबलै:।
लक्ष्मणश्च महातेजा वैदेही च यशस्विनी।
सीता समग्रा रामेण महेन्द्रेण शची यथा॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  भगवान श्रीराम रावण को पराजित कर मिथिलेश की राजकुमारी सीता को वापस पाकर अपने शक्तिशाली साथियों के साथ सफलतापूर्वक लौट रहे हैं। उनके साथ महातेजस्वी लक्ष्मण और यशस्वी विदेहराज की पुत्री सीता भी हैं। जिस तरह देवराज इन्द्र के साथ शची शोभा पाती हैं, उसी तरह श्रीराम के साथ पूर्णकाम सीता जी शोभायमान हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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