गुह से इस प्रकार कहकर महातेजस्वी और वेगशाली हनुमान्जी बिना कोई सोच-विचार किये बड़े वेग से आगे को उड़ चले। उस समय उनके सारे अङ्गों में हर्षजनित रोमाञ्च हो आया था। वे उस समय बहुत प्रसन्न थे और उनके अंगों पर रोमांच आ गया था। वे सोच रहे थे कि अब मैं सीता जी को खोजने जा रहा हूँ और रावण का वध करूँगा।