तुम्हारे मित्र ककुत्स्थवंशी पराक्रमी श्रीराम सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ तुम्हें अपना कुशल समाचार कहला रहे हैं। वे प्रयाग में हैं। भरद्वाज मुनि के कहने से आज वहीं आश्रम में पंचमी की रात बिताकर कल उनकी आज्ञा लेकर वहां से प्रस्थान करेंगे। तुम वहीं श्रीरघुनाथ जी का दर्शन करोगे।