श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 125: हनुमान्जी का निषादराज गुह तथा भरतजी को श्रीराम के आगमन की सूचना देना और प्रसन्न हुए भरत का उन्हें उपहार देने की घोषणा करना  »  श्लोक 23-24
 
 
श्लोक  6.125.23-24 
 
 
सखा तु तव काकुत्स्थो राम: सत्यपराक्रम:।
ससीत: सह सौमित्रि: स त्वां कुशलमब्रवीत्॥ २३॥
पञ्चमीमद्य रजनीमुषित्वा वचनान्मुने:।
भरद्वाजाभ्यनुज्ञातं द्रक्ष्यस्यत्रैव राघवम्॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे मित्र ककुत्स्थवंशी पराक्रमी श्रीराम सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ तुम्हें अपना कुशल समाचार कहला रहे हैं। वे प्रयाग में हैं। भरद्वाज मुनि के कहने से आज वहीं आश्रम में पंचमी की रात बिताकर कल उनकी आज्ञा लेकर वहां से प्रस्थान करेंगे। तुम वहीं श्रीरघुनाथ जी का दर्शन करोगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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